सिर्फ 5000 रुपये से ऐसा क्‍या किया कि अब 3 करोड़ का टर्नओवर, दर्जनों कर्मचारी?

नई दिल्‍ली: मुंबई की गीता पाटिल ने घर की रसोई से करोड़ों के टर्नओवर वाला बिजनेस खड़ा किया है। उनका ब्रांड 'पाटिल काकी' शुद्ध महाराष्ट्रियन व्यंजन बनाकर बेचता है। मुंबई और पुणे से उन्हें हजारों ऑर्डर मिलते हैं। उनके बेटे विनीत पाटिल ने ब्रांडिंग

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नई दिल्‍ली: मुंबई की गीता पाटिल ने घर की रसोई से करोड़ों के टर्नओवर वाला बिजनेस खड़ा किया है। उनका ब्रांड 'पाटिल काकी' शुद्ध महाराष्ट्रियन व्यंजन बनाकर बेचता है। मुंबई और पुणे से उन्हें हजारों ऑर्डर मिलते हैं। उनके बेटे विनीत पाटिल ने ब्रांडिंग और मार्केटिंग में उनकी मदद की। गीता को खाना बनाने की प्रेरणा अपनी मां कमलाबाई से मिली जो खुद छोटा टिफिन बिजनेस चलाती थीं। 2016 में पति की नौकरी जाने के बाद गीता ने घर से ही अपना बिजनेस शुरू किया। उन्होंने शुरुआत बीएमसी कर्मचारियों को चाय-नाश्ते से की। आज 'पाटिल काकी' में दर्जनों लोग काम करते हैं। आइए, यहां गीता पाटिल की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

मां से सीखी खाना बनाने की कला

मां से सीखी खाना बनाने की कला

मुंबई में जन्मीं और पली-बढ़ीं गीता की शादी भी मायानगरी में ही हुई। उनके पिता बीएमसी में काम करते थे। मां होम शेफ थीं। गीता पाटिल को खाना बनाने की प्रेरणा अपनी मां कमलाबाई से मिली। वह लगभग 20 लोगों के लिए टिफिन सर्विस चलाती थीं। गीता बचपन से ही अपनी मां के साथ रसोई में हाथ बंटाती थीं। मां से सीखी यही कला आगे चलकर उनके अपने बिजनेस की नींव बनी।

पति की नौकरी जाने के बाद की शुरुआत

पति की नौकरी जाने के बाद की शुरुआत

पति की नौकरी जाने के बाद 2016 में गीता ने घर से ही पारंपरिक महाराष्ट्रियन नाश्ता और मिठाइयां बनाकर बेचना शुरू किया। मोदक, पूरनपोली, चकली, पोहा और चिवड़ा जैसे व्यंजन उनके शुरुआती मेन्यू का हिस्सा थे। इस बिजनेस को शुरू करने में बहुत कम सिर्फ 5,000 का निवेश लगा। लोगों को गीता के हाथ का बना खाना इतना पसंद आया कि धीरे-धीरे उनके ग्राहक बढ़ते गए। आज 'पाटिल काकी' 3,000 से ज्‍यादा ग्राहकों को सेवा दे रहा है। कंपनी का सालाना टर्नओवर 3 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का है।

महामारी में बिजनेस को ऑनलाइन किया

महामारी में बिजनेस को ऑनलाइन किया

सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी 2020 में कोरोना महामारी आ गई। सब बंद हो गया। लॉकडाउन में सिर्फ ऑनलाइन बिजनेस ही चल रहे थे। तब गीता पाट‍िल ने सोचा कि क्यों न अपना बिजनेस ऑनलाइन किया जाए। उनके 20 साल के बेटे ने उनके लिए एक वेबसाइट बनाई। 'पाटिल काकी' नाम से उन्होंने नमकीन बेचना शुरू किया। उनका व्यापार तेजी से बढ़ा। उन्होंने जरूरतमंद महिलाओं को नौकरी दी।

शार्क टैंक के जजों को किया इम्‍प्रेस

शार्क टैंक के जजों को किया इम्‍प्रेस

टीम बढ़ने के साथ गीता ने अपना बिजनेस एक बड़ी जगह पर शिफ्ट कर दिया। आज 'पाटिल काकी' में 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं। उनका बेटा विनीत और उसका दोस्त दर्शील ऑनलाइन प्लेटफॉर्म संभालते हैं। इस स्टार्टअप को शार्क टैंक इंडिया से 40 लाख रुपये का निवेश भी मिला। 3 करोड़ रुपये से ज्यादा के सालाना टर्नओवर के साथ 'पाटिल काकी' आज एक सफल बिजनेस है। गीता पाटिल की कहानी लोगों के लिए एक प्रेरणा है। यह दिखाती है कि मुश्किल समय में भी मेहनत और लगन से सफलता पाई जा सकती है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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